आज 29 फरवरी है। एक अजीब अद्भुत दिन जो हर चार साल में एक बार आता है। बाकी समय के लिए यह मौजूद नहीं है। ये दिन खास है इसलिए आज गूगल ने इस पर खास डूडल बनाया है। वैसे भी बोनस तो हमें हमेशा ही भाता है! तो सेलिब्रेट करने का एक और बहाना, ज़िन्दगी का एक एक्स्ट्रा दिन, हमारे लिए प्रकृति का दिया एक गिफ्ट है ! इतना तो कफ़ी है ना जश्न ए ज़िन्दगी के लिए!
असल में ये एक लीप डे है और 2020 एक लीप वर्ष! लीप वर्ष वह कैलेंडर वर्ष होता है जिसमें एक ग्रेगोरियन कैलेंडर में जोड़ा गया एक बोनस दिन होता है ताकि इसे खगोलीय वर्ष या मौसमी वर्ष के साथ जोड़ा जा सके। यह हर चौथे वर्ष में होता है और 29 फरवरी को उस वर्ष के लिए लीप दिवस के रूप में चिह्नित किया जाता है। अब यह हर चार साल में एक बार होता है तो विशेष तो है ही! प्रकृति हमें हर चौथे साल 24 घंटे अतिरिक्त देती है ! मेरे लिए ये किसी जादू वाली झप्पी से बिल्कुल कम नहीं है!
आइये जानते हैं कि क्यों होता है लीप डे। यह सब पृथ्वी के घूमने और इस तथ्य के कारण है कि एक दिन वास्तव में 24 घंटे का नहीं होता है। खगोलशास्त्रियों के मुताबिक एक दिन-रात 23 घंटे, 56 मिनट और 4.1 सेकंड का होता है। वहीं पृथ्वी को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में सिर्फ़ 365 दिन नहीं बल्कि 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 45 सेकंड लगते हैं। इसलिए हर चार साल में फरवरी में एक अतिरिक्त दिन को शामिल किया गया है! यानि पृथ्वी के घूमने के कारण कैलेंडर तीन साल से पहले जमा हुए अतिरिक्त सेकंड के लिए समायोजित हो जाता है।
आसान शब्दों में जानें तो जिस साल को 4 से भाग देने पर शेष जीरो आता हो, वो लीप ईयर होगा, लेकिन सिर्फ वही शताब्दी वर्ष लीप ईयर होगा, जो 400 के अंक से पूरी तरह विभाजित हो जाए। इस हिसाब से साल 2000 लीप ईयर था, लेकिन 1900 लीप ईयर नहीं था। साल 2000 और फिर उसके बाद से 21वीं सदी में हर चौथा साल लीप ईयर रहा है। साल 2020 लीप ईयर है यानि अगला लीप ईयर 2024 होगा, उसके बाद 2028 में होगा!
प्रकृति के उपहार एक अतिरिक्त साकारात्मक दिन का पूरे उत्साह के साथ स्वागत कीजिये और उल्लास के साथ व्यतीत कीजिए क्योंकि फिर ये पल ना मिलेंगे दोबारा! 💕
अब हर वो लेख या संपादकीय लिखती हो ब्लॉग पर आनी चाहिए । डायरी के पन्ने फट जायेंगे लेकिन यहाँ संचित रहेगा ।
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