Tuesday, June 16, 2020

आकाशवाणी की कहानी

 



यह आकाशवाणी है.....
बड़ी ही जानी पहचानी सी यह पंक्ति बहुत ही सही उच्चारण के साथ कानों में मानो मिश्री घोल देने वाली आवाज़ में कई वर्षों से लगातार हमारे कानों में ही नहीं बल्कि हमारे दिलों में गूँज रही है और इसका कारण भी स्पष्ट है कि हम भारतीयों के लिए रेडियो मात्र मनोरंजन अथवा जानकारी देने वाला यंत्र नहीं है बल्कि यह एक भावना है जो हम सभी भारतवासियों के मन में बसी हुई है. कम से कम फौजी भाइयों के लिए पेश किया जाने वाला कार्यक्रम जयमाला या नाटिकाओं, झलकियों और प्रहसन को प्रस्तुत करने वाला कार्यक्रम हवामहल तो यही कहानी कहता है, यही कारण है कि "मोदी के मतवाले राही" से शुरू हुआ यह सफर आज भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के "मन की बात" तक आ पहुंचा है. भारत में रेडियो पर आवाज़ों की यह अनवरत यात्रा शुरू हुई सन 1924 में जब मद्रास प्रेसिडेंसी क्लब में रेडियो प्रसारण पर काम आरंभ किया मगर यह काम कुछ सालों में ही बंद हो गया. पुनः सन् 1927 में मुंबई और कोलकाता में आई. बी. सी. यानी इंडियन ब्रॉडकास्ट कंपनी का शुभारंभ किया गया. तब पहली बार  23 जुलाई को  इंडियन प्रसारण कंपनी ने बंबई स्टेशन से रेडियो प्रसारण शुरू किया था। अतः भारत में प्रत्येक वर्ष 23 जुलाई को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। परन्तु यह कंपनी भी 1930 में बंद हो गई मगर इस फ्लॉप कंपनी ने नींव रखी आज के सुपरहिट रेडियो प्रसारण की! सन् 1932 में भारतीय सरकार ने इसकी बागडोर अपने हाथ में ली और शुरुआत की इण्डियन ब्रॉडकास्ट सर्विस की ! वर्ष 1936 में जिसका नाम ऑल इण्डिया रेडियो रखा गया, सन् 1957 में इस ऑल इंडिया रेडियो को नया नाम दिया गया जिसे आज हम आकाशवाणी के नाम से जानते हैं! "बहुजन हिताय बहुजन सुखाय" ध्येय वाक्य वाले आकाशवाणी को अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अधिकृत रूप से देखने लगा ! समय के साथ मात्र 6 स्टेशन से शुरू हुआ यह सफर आज पूरे देश में विस्तारित हो चुका है. अंग्रेजी हिंदी एवं क्षेत्रीय भाषाओं में दिए जाने वाले रेडियो कार्यक्रमों का सिलसिला आज भी जारी है! रेडियो की दुनिया में एक बड़ी क्रांति तब आई जब वर्ष 1967 में विज्ञापन प्रसारण सेवा का आरंभ हुआ! इसकी शुरुआत विविध भारती और विज्ञापन प्रसारण सेवा मुंबई से की गई! रेडियो प्रसारण स्वदेशी तथा भारत सरकार द्वारा संचालित होने के कारण संचार के एक बहुत बड़े माध्यम के रूप में सामने आया! इसके द्वारा मौसम कृषि देश विदेश से जुड़ी बातें व जानकारियाँ जनमानस आसानी से प्राप्त कर सकते थे! आज भी इसकी विश्वसनीयता पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती! रेडियो द्वारा गीत संगीत व ज्ञान की धारा भी निरंतरता के साथ बह रही है! तब कुछ घंटों में सिमट जाने वाला रेडियो प्रसारण आज DTH यानी डायरेक्ट टू होम के द्वारा पूरे दिन यानी चौबीसों घंटे उपलब्ध है! एक वक्त था जब बड़े से भारी भरकम रेडिसो सेट का कान उमेठ कर उस पर प्रसारण सेट करने की कोशिश में प्राप्त होती थी कुछ चर्र मर्र और कई बार बस घर्र घर्र की आवाज़ें, वहीं अब बस एक छोटे से यंत्र के माध्यम से बेहतरीन स्टीरियो क्वालिटी के साथ अब बिना किसी अवरोध के निरन्तरता के साथ अपने मन की बात सुनी जा सकती है और कही जा सकती है! आखिर यही तो है..
देश की सुरीली धड़कन....

रंजना यादव
8765777199
ranjanayadav1981@gmail.com

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